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GIRL BUSINESS part 2

उस शराबी की यह बात, खुशी से उसकी सारी, खुशी छीन कर, उसे मायूस कर देती है, वह उसेश शराबी को कुछ नहीं कहती और उसे इस्माइल देकर चल देती है, शायद खुशी को उसकी बात, समझ में आ गई है, खुशी उस नन्ही बच्ची के साथ, अपने घर आती है तो उसकी मां उसे आते ही, एक तमाचा मारती है और कहती है

माँ - बेशर्म,,,बदमाश,,,तुझे शर्म नहीं आती, पुरे गांव में हमारी इज्जत का नंगा नाच दिखा रही है, पूरा गांव कह रहा है, हमने आटा-साटा तोड़ा है, आटा-साटा तोड़ना मतलब,,,समाज से नाता तोड़ना, दंड भी भरना पड़ेगा, बर्बाद हो जाएंगे हम"! मां ने चिंतित भाव से कहा

तभी खुशी की भाभी सीमा, चीड़ते हुए, सीमा के पास आती है और वह खुशी के हाथ से अपनी बेटी का हाथ छुड़वाकर, उसकी छाती से अपना दुपट्टा झपटकर, कहती है

सीमा - तेरे कामचोर भाई से शादी करके, मैंने भी तो आटा-साटा निभाया है, अगर तूने,,,मेरे भाई के साथ, घर नहीं बसाया तो मैं,,तेरे भाई को छोड़ कर,,चली जाऊंगी"!

हिम्मत - तेरी जैसी बहन को तो जहर देकर मार देना चाहिए, जो अपने भाई का बसा बसाया घर, उजाड़ना चाहती है"!

खुशी - तुम्हें किसने कहा,,,मैंने आटा-साटा तोड़ा है, अरे,,,तुम्हारी याद आई तो चली आई,,तुम तो मुझसे ऐसा बिहेव कर रहे हो, जैसे मुझे वहां बेंच दिया हो, मैं इस घर की बेटी हूं, कोई बकरी नहीं हूं"! खुशी ने अधिकार से कहा

नेक्स्ट सीन

खुशी कमरे में बेड पर बैठी कापी में कुछ लिख रही है, तभी उसकी मां आई और खुशी ने लिखना बंद कर, वह कापी तकिये के नीचे छुपाई,,,यह देखकर उसकी मां ने पूछा

माँ - क्या लिखा है,,जिसे अपनी मां से छुपाना पड़ रहा है और वैसे भी मुझे,,,कहां पढ़ना लिखना आता है,,,मेरे लिए तो सारे अक्षर,,,भैंस बराबर है,,अब यह बता,,,तू वहां से भाग कर क्यों आई"?

खुशी - माँ,,,,में उस पागल के साथ और रही तो सच में पागल हो जाऊंगी, वह मुझे अपनी पत्नी नहीं, एक खिलौना समझता है, जब उसका मन करता है, मुझसे खेल कर चला जाता है, सुबह,,,दोपहर,,,शाम,,उसके लिए सब बराबर है,,,पता नहीं क्या नशा करता है वह,,,इंसान नहीं जानवर है,,मेरी छाती से लगाकर, पूरे शरीर पर जानवर जैसा काटता है, जैसे गिद्ध किसी मुर्दे को नोच-नोच कर खाते हैं,,वैसे ही वह मेरे शरीर को नोचता है,,वह समझता ही नहीं कि मैं,,,उसकी पत्नी हूं,,मुझे बहुत दर्द होता है मां,,,,कई घंटो तक पेट और उसके नीचे दर्द रहता है,,,ठीक से चल नहीं पाती हूं,,उसकी दरिंदगी मेरे शरीर को ही नहीं, मेरी आत्मा को भी घायल कर रही है,,,वह मुझसे उम्र में ही बड़ा नहीं है,,उसके सभी अंग भी,,,मेरे अंगों से बड़े"! खुशी ने रोते हुए बता रही थी,,तभी उसकी मां ने उसके, मुंह पर हाथ रखा और उसे छाती से लगाकर कहा

माँ - बस कर छोरी,,,,बस कर,,,हमारी जाति में लड़कियों के साथ, सदियों से ऐसा ही होता आया है,,इस आटा-साटा, कुप्रथा ने हजारों लड़कियों को जीते जी नरक में धकेल दिया है,,,तुझे ना चाह कर भी यह सब सहना पड़ेगा,,,,तेरी कोई मदद नहीं करेगा, मेरी बेटी,,,तेरी कोई मदद नहीं करेगा"! माँ ने रोते हुए बताया

खुशी - मैं,,,अपने साथ, रोज बलात्कार नहीं करा सकती,,मुझे घुटन होती है और अपने आप से घीन आती है,,,मैं मर जाऊंगी, माँ "! यह कह कर खुशी फूट-फूट कर रोने लगी

मां ने उसके आंसू पोछते हुए, उसे सातवांना देते हुए कहा

माँ - इस बारे में आज रात,तेरे बावजी से बात करूंगी"!

तभी दरवाजे के पास खड़े, भैरव लाल ने चिल्लाते हुए कहा

भेरवलाल - इस बारे में मुझसे, बात करने की कोई जरूरत नहीं है, आटा-साटा हमारे समाज की परंपरा है और हमें इसका आदर करना चाहिए, समाज दूसरी लड़कियों को तो आटा-साटा से कोई परेशानी नहीं है, एक हमारी ही अनोखी साहबजादी है, जिसे आटा-साटा, प्रथा गलत लगती है,,,सुबह जल्दी तैयार हो जाना, मैं,,खुद तुझे,,,तेरे ससुराल छोड़ने जाऊंगा,,,मेरी एक बात कान खोल कर सुन ले और अच्छे से समझ ले,,तुझे जिंदगी भर तेरे ससुराल में जीना है और वही मरना है,,,हमारे लिए तु मर चुकी है"! भैरव लाल ने स्पष्ट कहा

भेरवलाल बहुत उग्र स्वभाव का व्यक्ति है, इसलिए उसके सामने, कोई कुछ नहीं कहता है और समाज के सभी लोग, उसका आदर करते हैं, उसकी बात को पत्थर की लकीर समझ कर मानते हैं, अपने पिता का इतना कठोर वाक्य सुनकर, खुशी टूट जाती है और अपनी मां से लिपटकर रोने लगती है!

तभी उसकी मां उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है

माँ - तु हिम्मत रख,,,रात को तेरे बाबूजी का गुस्सा शांत हो जाएगा,,तब मैं इस बारे में उनसे, बात करूंगी,,चल खाना खा ले"!

खुशी ने आसूं पोछकर पूछा

खुशी - क्या बनाया है"?

माँ - मक्के की रोटी और आलू बटले की साक, तुझे बहुत पसंद है, तेरे लिए ही बनाई है"!

खुशी - यही लाकर दे दो,,उधर जाऊंगी तो भैया-भाभी के ताने,,सुनने पड़ेंगे"!

मां - ठीक है,,मैं यही लाकर देती हूं"! माँ ने जाते हुए कहा

खुशी अपने पसंदीदा खाना पाकर, ऐसे खुश हो गई है,,जैसे कुछ हुआ ही नहीं,,,वह मस-मस कर,,,खाना खा रही है, उंगलियां चाट रही है और उसके सामने खड़ी उसकी मां,,,उसे देख रही है

खुशी - मां,,,तुम्हें सच में खाना, बनाने का हक है, मजा आ गया, एक काम करो, दो रोटी और ले आओ"!

फिर खुशी ने पेट भर कर खाना खाया और अपनी मां को अपने पास बिठाकर कहा

खुशी - मां,,,तुम इस बारे में बाबूजी से बात मत करना,,,मैं समझ गई हूं,,,मेरी किस्मत में यही लिखा है, जिसे भगवान भी नहीं बदल सकता है, अगर मैं आटा-साटा, रिवाज तोडूंगी तो मेरे भाई का बसा बसाया,,घर भी उजड़ जाएगा,,इसीलिए यह जन्म तो ऐसे ही मर-मर कर, बिताना पड़ेगा पर एक बात तुम,,,कान खोलकर सुन लो, अब मैं,,,कभी भी तुम्हारी,,बेटी बनकर, जन्म नहीं लूंगी, भले बकरी,,,कुतिया,,,गाय,,,भैंस के घर जन्म ले लूंगी पर तुम्हारे घर और तुम्हारी समाज में जन्म नहीं लूंगी"!

माँ - सब कुछ तो दिया तुझे, फिर ऐसा क्यों कह रही है"? माँ ने आश्चर्य से पूछा

खुशी - सब कुछ देकर,,सब कुछ छीन भी तो लिया, बकरी,,,कुतिया,,,गाय,,,भैंस भी अपनी पसंद से प्यार करती है पर मेरी जिंदगी, तो उनसे भी गई गुजरी है"!

मां - जो तेरे साथ हो रहा है, वह हजारों लड़कियों के साथ होता है पर वह सब इस अपनी, किस्मत समझ कर या परिवार की भलाई समझकर सह लेती है,,,कुछ नहीं कहती है,,पता है तू इतना क्यों कह पाती है,, क्योंकि तू पढ़ी-लिखी है,,,अगर मैं,,तुझे पढ़ाती- लिखाती नहीं,,,तो यह सब तुझे,, अजीब नहीं लगता,,,मैंने,,,तुझे पढ़ा लिखा कर,,,बहुत बड़ी गलती कर दी"! माँ ने अफसोस से कहा

खुशी ने अपनी मां की आंखों में गहराई से देखा. और उस सच को समझने की कोशिश की,,,जिसे उसकी मां,,,उसे समझाने की कोशिश कर रही है पर मां की बातों में उसे, अपनी स्वतंत्रता और अपने अधिककारों का हनन होता स्पष्ट नजर आया और अपनी मां की लाचारी भी स्पष्ट नजर आई"!

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3 Comments

Gunjan Kamal

14-Dec-2023 10:59 PM

👌👏

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Milind salve

14-Dec-2023 07:04 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

14-Dec-2023 06:12 PM

शानदार

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